बुधवार, 26 फ़रवरी 2025

आक धतूरा भाँग [ दोहा ]

 118/2025

             


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


भाँग   धतूरा   बेल  दल, फल का करते   भोग।

गौरीपति शिव  शंभु को, करूँ नमन सह   योग।।

शिव   तेरस   शिवरात्रि   है,शंकर उमा  विवाह।

भाँग  धतूरा   दान  कर, करें   भजन  अवगाह।।


ऊर्जा      सदा   नकार    की ,  करे  धतूरा    दूर।

पौधा     एक    लगाइए,  करे  क्लेश  गृह   चूर।।

श्वास   रोग या  अस्थमा, खुजली  भी  कर  दूर।

इम्युनिटी    की   वृद्धि   हो, कहते जिसे    धतूर।।


बहुत   विषैला  जानिए,भखें न दल फल   भूल।

घोंट     धतूरा   शंभु    को ,देतीं  उमा   समूल।।

पीड़ाहारी    शोथहर,   कृमिनाशक   हैं   बीज।

कहें   धतूरा    लोग  सब, एक अमोलक चीज।।


आक    धतूरा  भाँग  के ,  बहुत  बड़े  उपयोग।

औषधि    आयुर्वेद    की,  मिटा  रही  हैं   रोग।।

गौरा     बोलीं    शंभु   से,  नहीं  धतूरा   आज।

भाँग    घुटे    कैसे   प्रभो, मत  होना  नाराज।।


ले     सरसों    के   तेल  में, पका धतूरा   आप।

दर्द निवारक  पृष्ठ  कटि,  श्रवण वेदना   ताप।।

त्वचा    रोग     सूजन   सभी,  करे धतूरा   दूर।

मिले     गात  नीरोगता,   देता   नशा   सुरूर।।


पित्त    प्रदर   में  पत्र  का, करके थोड़ा   सेक।

रोग  हरे   धत्तूर   दल, काम  बड़ा  ही     नेक।।


शुभमस्तु !


25.02.2025● 9.15प०मा०

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