बुधवार, 12 फ़रवरी 2025

भुलाया ही नहीं जाता [नवगीत]


077/2025

         


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


गया बीता हुआ बचपन

भुलाया ही नहीं जाता।


न भाता था मुझे पढ़ना

सदा ही मस्त खेलों में

नहीं स्कूल मैं जाता

भ्रमणता  खेत ढेलों में

कभी गिल्ली कभी बल्ला

भुलाया ही नहीं जाता।


कभी गूलर विटप चढ़ना

कभी यारों की टोली थी

कभी था रोपता पौधे

कभी टेसू की झोली भी

कबड्डी गोलियाँ कंचा

भुलाया ही नहीं जाता।


द्विचक्री सीख ली जब से

नहीं फिर खेल भी भाए

घरों से ठेलकर मुझको

मदरसे में भी जा पाए

बगल में लादकर बस्ता

भुलाया ही नहीं जाता।


दिखा दादी को जब भी मैं

लिए पुस्तक कलम कापी

पढ़े मत पूत तू ज्यादा

मुझे  वर्जन  करे  दादी

न हों कमजोर ये आँखें

भुलाया ही नहीं जाता।


काढ़ती दूध जब अम्मा

कटोरा  हाथ में लेकर

चला जाता था मैं लेने

नहीं इसमें लगा ब्रेकर

मूँछ बनती जो अधरों पर

भुलाया ही नहीं जाता।


शुभमस्तु !


11.02.2025●11.00आ०मा०

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[12:31 pm, 11/2/2025] DR  BHAGWAT SWAROOP: 

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