120/2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
कवियों में भी क्षेत्रवाद है
आम जनों की बात नहीं।
मिले जातिवाला जो कोई
उसका गाढ़ालिंगन हो
रिश्तों की आरंभ खोज हो
रक़्तों का प्रतिबिंबन हो
सोच समझ कर करे समीक्षा
शेष न कोई घात नहीं।
एक-एक मिल ग्यारह होते
गिद्धों से गिद्धों का मेल
गौरैया से गिद्ध न मिलता
करता है अस्मत से खेल
बिल्ली झपट मारती चूहा
मिलती उसकी जात नहीं।
कहने को वे सर्व हितैषी
जात - पांत का गंदा खेल
नहीं खेलने से वे चूकें
वाणी में मिथ्या का मेल
राजनीति इनमें नेता की
घुसी हुई सौगात नहीं।
शुभमस्तु !
26.02.2025●7.15 प०मा०
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