082/2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
अक्ल के पीछे पड़े हैं
लट्ठ लेकर लोग।
बारहों महीने न जागे
एक दिन ही खास
जाग जाते लोग सारे
लग रहा उपहास
जून जब इक्कीस आई
कर रहे हैं योग।
दूध में पानी मिलाना
नित्य का ही काम
गबन चोरी अपहरण भी
हों सुबह से शाम
कुंभ में जाकर नहाए
धुल गए सब रोग।
आम का फल आम ही है
नीम का फल नीम
भूलते हैं कर्म का फल
कह रहे खुद भीम
श्वान सूकर मानवों को
भोगना कृत भोग।
शुभमस्तु !
12.02.2025●12.45प०मा०
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