बुधवार, 5 फ़रवरी 2025

मानव का दायित्व [दोहा]

 063/2025

           

[सड़क,सुरक्षा,हेलमेट,दुर्घटना,रफ्तार]


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


               सब में एक

सड़क नहीं   सीधी  कभी,जीवन की हे मित्र।

चलना ही  पड़ता हमें, दिखला  चारु  चरित्र।।

सड़क और  पगडंडियाँ, आरोहण  अवरोह।

जीवन में  अनिवार्य हैं, घाटी मरुथल  कोह।।


करें सुरक्षा  आप  ही ,अपनी - अपनी  मीत।

कौन  बचाए  आपको,  चलें चाल विपरीत।।

प्राण सुरक्षा के  लिए, मानव   का  दायित्व।

सबसे  ज्यादा  है  सदा, तेरा  मनुज कृतित्व।।


हेलमेट   फैशन  नहीं,   रक्षा-कवच  प्रधान।

सड़कों पर बाइक चले,बचे मनुज की  जान।।

हेलमेट  होता  नहीं,   कैसे    हो तव   त्राण।

फर्राटा   गाड़ी   भरे,   बचे  कहाँ  से प्राण।।


दुर्घटना से    देर    ही,  अपना  एक   बचाव।

सदा  सुरक्षित  ही  चलें, नहीं  दिखाएँ   भाव।।

सावधान  रहना  सदा,  यही उचित है   बात।

दुर्घटना   देती    हमें,  घात   और प्रतिघात।।


सदा  सुरक्षित  आदमी,जब  हो कम  रफ्तार।

रहे  नियंत्रण   भी     बना , बाइक हो या  कार।।

युवा    पीढ़ियों   की  रहे,   बढ़ी   हुई  रफ्तार।

नहीं   मान-सम्मान  भी,नहीं अनुज से     प्यार।।


                      एक में सब

सड़क   सुरक्षा  में सदा, हेलमेट   हो     साथ।

बढ़ा    नहीं  रफ्तार  को, जो दुर्घटना   -  पाथ।।


शुभमस्तु !


04.02.2025● 10.45 प०मा०

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