126/2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
रँग रोली पिचकारी
चंदन गुलाल की बारी
चुप-चुप ऋतुराज पधारे
खिल उठे फूल कचनार।
सरसों गेंदा पाटल झूमे
भ्रमरावलि शाखा पर झूले
तितली मचली हर फूल- फूल
कोयलिया करे पुकार।
मन मचल रहा
तन उछल रहा
मन्मथ की सेना मौन
है नेह जीव का सार।
बदला-बदला परिदृश्य
हम जानें सभी अवश्य
लिपटी आमों से बेल
प्रियल प्यार साकार।
बूढ़ा पीपल मुस्काया
बरगद की मोहक छाया
पतझड़ भी करे धमाल
बालक भरते किलकार।
शुभमस्तु !
27.02.2025● 8.45प०मा०
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