शनिवार, 16 मार्च 2024

शुभम् कहें जोगीरा :1 [जोगीरा छंद]

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 ©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


फूल-फूल अलि दल मँडराते,मधुरस की है चाह।

आया  है ऋतुराज  बाग में,उर में भरे उछाह।।

जोगीरा सारा रा रा रा 


तितली  पहन शाटिका पीली,नीली भूरी लाल।

नाच रही है फूल -फूल पर,देती कत्थक ताल।।

जोगीरा सारा रा रा रा 


कोयल  कूके   कुहू-कुहू   कर, अमराई  के  बीच।

विरहिन के मन हूक पिया की,पिया न आज नगीच।

जोगीरा सारा रा रा रा


पाटल   महके   गेंदा  चहके, ठोक जाफरी ताल।

बुला रहा  मधुमाखी  आओ, कर लें  रंग  धमाल।।

जोगीरा सारा रा रा रा


सरसों की  सुगंध  रस भीनी,नाचे भर  हिलकोर।

ओढ़ चुनरिया पीली - पीली,करे खेत   में   रोर।।

जोगीरा सारा रा रा रा


अरहर  रह-रह  कटि  मटकाए, मटर चना के खेत।

पुरबाई   में  मत्त   मद  भरे, नृत्य  करें   समवेत।।

जोगीरा सारा रा रा रा


कुसुमाकर   के  रंग  निराले, हर्षित बाला   बाल।

बूढ़ा बरगद लाल अधर से,हँसता साँझ सकाल।।

जोगीरा सारा रा रा रा


कपड़े  नए  पहन कर आए,शीशम पीपल नीम।

'शुभम्' कहें जोगीरा मीठे, भरते भाव असीम।।

जोगीरा सारा रा रा रा


शुभमस्तु !


15.03.2024● 11.30 आ०मा०

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