116/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
खोया भरी मुलायम गुजिया,मधुर अनरसे सेक।
होली के व्यंजन सहेजती,भौजी घर में नेक।।
जोगीरा सारा रा रा रा
रंग भरी आई है होली, बने करकरे पापड़।
कुरर- कुरर करते हैं जब वे,पड़े बिना ही झापड़।।
जोगीरा सारा रा रा रा
गोरे गोल कपोल मखमली, लगता लाल गुलाल।
हुड़दंगी होली में कोई , करता नहीं सवाल।।
जोगीरा सारा रा रा रा
गरम कचौड़ी नरम मगौड़ी, दिखला रही बहार।
रसगुल्ले रस भरे लुढ़कते, भरते प्रेम दुलार।।
जोगीरा सारा रा रा रा
देवर तोड़ नहीं मर्यादा, होली का त्यौहार।
रहना है कल भी समाज में,बिगड़े क्यों व्यौहार।।
जोगीरा सारा रा रा रा
काजल बिंदिया तुम्हें लगाऊँ,पहना लहँगा चूनर।
देवर तुम्हें सजाऊँ ऐसे, रंग लगाऊँ जीभर।।
जोगीरा सारा रा रा रा
'शुभम्' कहें जोगीरा होली, ब्रजबाला सँग बाल।
होली खेलें वनिताओं से,मल-मल रंग गुलाल।।
जोगीरा सारा रा रा रा
शुभमस्तु !
18.03.2024●5.00प०मा०
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