112/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
महुआ महके बाग-बाग में,वन में टेसू लाल।
सेमल दल विहीन मतवाले,सजते करें कमाल।।
जोगीरा सारा रा रा रा
कमसिन कचनारों की कलियाँ,कोमल कांत अडोल।
कुसुमाकर की सेज सजाती,रहीं मधुर रस घोल।।
जोगीरा सारा रा रा रा
पाटल लाल गुलाबी पीले,महक रहे चहुँ ओर।
ओट मेंड़ की नृत्य लीन हैं,रंग बिरंगे मोर।।
जोगीरा सारा रा रा रा
गेंदा गमक - गमक क्यारी में,करते हैं आहूत।
रंग -बिरंगी तितली आओ,रस है यहाँ प्रभूत।।
जोगीरा सारा रा रा रा
भ्रमर दलों ने डेरा डाला, फुलवारी के पास।
खुली आँख रस पीने दौड़े, देखा भोर - उजास।।
जोगीरा सारा रा रा रा
कुहू-कुहू करती नित कोकिल,अमराई के बीच।
विरहिन के उर पीर जगाती,घर के बड़े नगीच।।
जोगीरा सारा रा रा रा
'शुभम्' कहें जोगीरा माधव,फ़ागुन मत्त बहार।
कामदेव के रँग में डूबे, खुले कली के द्वार।।
जोगीरा सारा रा रा रा
शुभमस्तु !
18.03.2024●8.45आ०मा०
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