122/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
सूखा पानी मनुज आँख का,हया नहीं है शेष।
देखा देखी वृक्ष काटता,बना हुआ है मेष।।
जोगीरा सारा रा रा रा
कंकरीट के जंगल बोए,मेघ गए उड़ दूर।
दोहन जल का अन आवश्यक,करता है भरपूर।।
जोगीरा सारा रा रा रा
सब मरसीबल चले धड़ाधड़,भैंस नहाएँ नित्य।
नहीं जानता बिना मूल्य के,पानी का औचित्य।।
जोगीरा सारा रा रा रा
पेड़ लगाना नहीं चाहता,हरियाली को मार।
वर्षा की चाहत में रोए,भला करें करतार।।
जोगीरा सारा रा रा रा
रासायनिक खाद डालकर, उत्पादन के नाम।
कर्कट रोग बो रहा प्रतिदिन, उधर कमाता दाम।।
जोगीरा सारा रा रा रा
जल का स्तर नित जाए नीचे,सूख गए हैं पंप।
कूप रसातल में जा पहुँचे,तन में होता कंप।।
जोगीरा सारा रा रा रा
'शुभम्' कहें जोगीरा पानी,पानी हित संग्राम।
विश्व युद्ध का रूप बनेगा,बचे न मानुस नाम।।
जोगीरा सारा रा रा रा
शुभमस्तु !
19.03.2024●2.00प०मा०
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