145/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
आड़ खोजकर चतुर आदमी,करता कर्म 'महान'।
शोध करें तो मिलें हजारों, देखा सकल जहान।।
जोगीरा सारा रा रा रा
कौन श्रेष्ठ है कौन निम्नतम,नहीं मापना ठीक।
जब जैसी भी जुगत भिड़े वह,सबसे उत्तम नीक।।
जोगीरा सारा रा रा रा
आड़ धर्म की जिसके नीचे,झुक जाते जन श्रेष्ठ।
कहते लोग श्रेष्ठतम होती,अन्य सभी में ज्येष्ठ।।
जोगीरा सारा रा रा रा
धर्म नाम है इतना पावन,गोबर भी हो शुद्ध।
गंगाजल की अंजुलि भर से,बुद्धू होते बुद्ध।।
जोगीरा सारा रा रा रा
ना ना ना ना धर्म - कर्म में, सोचें बुरी न बात।
भाव नकारों के मत लाएँ,हो जाए अपघात।।
जोगीरा सारा रा रा रा
धर्म भीरुता मंत्र अनौखा, डरता जन - जन धीर।
सोचा यदि विपरीत दिशा में,होंगे फल गंभीर।।
जोगीरा सारा रा रा रा
'शुभम्' कहें जोगीरा बिदको, मत हे धीर सुजान।
आड़ ढूँढ़ लो तुम भी कोई, बच पाएँ तब प्रान।।
जोगीरा सारा रा रा रा
शुभमस्तु !
23.03.2024●7.00आ०मा०
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