शनिवार, 16 मार्च 2024

शुभम् कहें जोगीरा :2 [ जोगीरा छंद ]

 98/2024

     


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


मंडी  में   ये  ठंडी  क्यों  है, पूछ रहा है   आम।

'तू तो  बौराया  फिरता है,तुझे न कोई  काम'??

जोगीरा सारा रा रा रा


आलू  ही आलू  के   बोरे , लदे  पड़े हर  ओर।

लाल - लाल  कुछ भूरे  गोरे,मचा रहे हैं  शोर।।

जोगीरा सारा रा रा रा


गोरी  गोभी  बैंगन जी  से, करती नमन  प्रणाम।

बोली 'बहुत  भले  लगते हो, आना मेरे   धाम'।।

जोगीरा सारा रा रा रा


बैंगनजी    शरमाए    थोड़े,    बोले 'आलू    साथ।

अनुमति हो तो उसको  लाऊँ,डाल गले  में हाथ'।।

जोगीरा सारा रा रा रा


'देखो   समझो  सुनो  हमारी', बोली गोभी   गोल।

'बात  निजी  करनी  है तुमसे,आलू को मत  घोल'।।

जोगीरा सारा रा रा रा


'अपनी  जोड़ी  खूब  बनेगी, जैसे राधे  श्याम।

गोभी - बैंगन  बनें  दंपती, घर-घर में हो  नाम'।।

जोगीरा सारा रा रा रा


'शुभम् कहें  जोगीरा  अनुपम,गोभी खेले  फाग।

बैंगन  वादा  पूरा  करने ,  रहे रात भर   जाग।।


शुभमस्तु !


15.03.2024●12.15 प०मा०

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