86/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
आदमकद बाबा की लठिया।
खट - खट करती जाती लठिया।।
बाबा के अब तीन पैर हैं,
आँखें भी ये उनकी लठिया।
कूकर पास न झाँके बिल्ली,
दिन भर राह दिखाती लठिया।
खटिया छोड़ उठें जब बाबा,
सदा सहारा देती लठिया।
पास न आए दुश्मन बैरी ,
कसके चोट लगाती लठिया।
आगे नाती पीछे बाबा,
पथ में सैर कराती लठिया।
'शुभम्' बड़ी गुणवान बाँस की,
पी - पी तेल चमकती लठिया।
शुभमस्तु !
04.03.2024●8.45प० मा०
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