मंगलवार, 5 मार्च 2024

लठिया [बाल गीतिका]

 86/2024

                 

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


आदमकद    बाबा   की   लठिया।

खट - खट  करती जाती  लठिया।।


बाबा    के    अब     तीन   पैर  हैं,

आँखें   भी    ये   उनकी   लठिया।


कूकर  पास    न    झाँके  बिल्ली,

 दिन भर   राह  दिखाती  लठिया।


खटिया   छोड़  उठें   जब    बाबा,

सदा    सहारा      देती    लठिया।


पास  न     आए    दुश्मन     बैरी ,

कसके   चोट    लगाती   लठिया।


आगे     नाती       पीछे      बाबा,

पथ  में  सैर     कराती    लठिया।


'शुभम्'  बड़ी  गुणवान  बाँस की,

पी - पी तेल   चमकती   लठिया।


शुभमस्तु !


04.03.2024●8.45प० मा०

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