138/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
ख्यात जलाने का व्यसनी है,मेरा भारत देश।
जलता कोई बिना आग के,रहित शीश के केश।।
जोगीरा सारा रा रा
एक पड़ौसी निकट पड़ौसी, से जल होता खाक।
लपट न कहीं धुआँ ही उठता,ऊँची करता नाक।।
जोगीरा सारा रा रा रा
जलता नहीं जलाया जाता,रावण भी प्रतिवर्ष।
लोग चीखते ताली पीटें, सहज मनाते हर्ष।।
जोगीरा सारा रा रा रा
बुआ होलिका अंक उठाए, भ्राता- सुत प्रह्लाद।
फ़ागुन के पूनम को आती,ज्वलन दिवस की याद।।
जोगीरा सारा रा रा रा
करके भीड़ इकट्ठी भारी,उसे जलाते लोग।
पता न जिनको इस करतब का,किंतु रूढ़ि का रोग।
जोगीरा सारा रा रा रा
पुतिन जलाए यूक्रेनों को, कैसा अत्याचार।
इजराइल हमास की ज्वाला,जलती है हर वार।।
जोगीरा सारा रा रा रा
'शुभम्' कहें जोगीरा ज्वाला,शीतल कहीं ज्वलंत।
नाम अन्य का मिटा रहे हैं, कभी न होंग संत।।
जोगीरा सारा रा रा रा
शुभमस्तु !
21.03.2024● 10.30प०मा०
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