सोमवार, 25 मार्च 2024

शुभम् कहें जोगीरा:37 [जोगीरा ]

 139/2024

       

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


देखी  झाँक न ग्रीवा  अपनी,कैसा चरित महान।

अँगुली  तान  दूसरों पर ही, इंगित किए निशान।।

जोगीरा सारा रा रा रा


वसनों  के  नीचे  ढँक   लेते, अपने सारे  दोष।

दिखलाते  औरों की गलती,ऑंखों में भर रोष।।

जोगीरा सारा रा रा रा


दूध    दही    के   दरिया   बहते,नेता  करें   नहान।

धुली न अब तक मन की कालिख,कारागार प्रमान।।

जोगीरा सारा रा रा रा


सदा  पटखनी देने की ही, विकृत जिनकी सोच।

कैसे करें  सशक्त  राष्ट्र  को, नित्य बनाते  पोच।।

जोगीरा सारा रा रा रा


जिनके    बलबूते  पर जीता, मेरा देश    महान।

देशभक्ति  उनमें न  लेश भर,साँसत में हैं जान।।

जोगीरा सारा रा रा रा


दलबंदी  का  दलदल  काला,  मामा वे   मारीच ।

कपड़ों  के  नीचे  आरक्षित,रहती जब तक मीच।।

जोगीरा सारा रा रा रा


'शुभम्'  कहें   जोगीरा  दर्पण,देखें नेता  झाँक।

भरी  मिलेंगीं  दुर्गंधें  ही,   केवल काली   पाँक।।

जोगीरा सारा रा रा रा


शुभमस्तु !


22.03.2024●7.15आ०मा०

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