गुरुवार, 21 मार्च 2024

शुभम् कहें जोगीरा:17 [जोगीरा ]

 117/2024

       

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


यमुना तट पर चली ग्वालिनी,मिले राह में श्याम।

सिर कटि टेक नीर घट दो-दो,चलती चाल ललाम।।

जोगीरा सारा रा रा रा


बोले श्याम चलें हम खेलें,रँग गुलाल का खेल।

सास लड़ेगी हमसे लाला,डाले नाक नकेल।।

जोगीरा सारा रा रा रा


जमुना  से जल भर लो पहले,फिर देखें तरकीब।

कैसे   खेलें  हम सब  होली,जो भी लिखा नसीब।।

जोगीरा सारा रा रा रा


घट सिर रखे कहाँ भटकेंगीं,उचित न लाल उपाय।

कौन  बहाना  करें  सास से, बँधी अभी सब गाय।।

जोगीरा सारा रा रा रा


गाय  ले  चलें  गोचारण  को, वहीं खेलना  खेल।

होली  की  होली  भी  होले,वहाँ न सास -नकेल।।

जोगीरा सारा रा रा रा


बड़ी बुद्धि के स्वामी लाला, कितनी बुद्धि  महीन।

पल भर में हल तुम्हीं ढूँढ़ते, धी में नित्य  नवीन।।

जोगीरा सारा रा रा रा


'शुभम्' कहें जोगीरा कान्हा, नंदलाल प्रणवीर।

जहाँ  चाह में  राह  बनाते,कालीदह को   चीर।।

जोगीरा सारा रा रा रा


शुभमस्तु !


18.03.2024 ●9.45प०मा०

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