सोमवार, 25 मार्च 2024

शुभम् कहें जोगीरा:50 [जोगीरा ]

 152/2024

        


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


चार  गधे   मिलकर   घूरे पर,चरते सूखी  घास।

तानाशाह  सोचता  मन  में, उड़ा  रहे उपहास।।

जोगीरा सारा रा रा रा


करे  नहीं विश्वास  किसी पर,लगें सभी  षड्यंत्र।

आपस में ये  सभी गधे मिल,पढ़ें विरोधी    मंत्र।।

जोगीरा सारा रा रा रा


एकछत्र   साम्राज्य    चाहता,वन में खूनी     शेर।

सबके  प्रति  शंका  ही उपजे,खाता क्यों वह बेर।।

जोगीरा सारा रा रा रा


अन्य  जीव  को   तड़पाने  में, लेता वह   आनंद।

बुनता  वह प्रायः  रहता  है, उलटे-पुलटे   फंद।।

जोगीरा सारा रा रा रा


शांति  एक  पल  नहीं  सुहाती, तानाशाही   सोच।

देख  दुखी  जनता को अपनी,जन्म न  लेती  लोच।।

जोगीरा सारा रा रा रा


धृतराष्ट्रों    की अंधी   आँखें,देखें महा   विनाश।

देश रसातल  में वह जाता,मिटता पूर्ण   प्रकाश।।

जोगीरा सारा रा रा रा


'शुभम्' कहें जोगीरा चेतन,करना उसका काम।

भला सुखद हो जीव मात्र का,रक्षक हैं  श्रीराम।।

जोगीरा सारा रा रा रा


शुभमस्तु !


24.03.2024●6.45आ०मा०

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