144/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्
भ्रष्टाचार जहाँ रग - रग में, सुधरे कैसे देश।
नित्य तरीके नए खोजते, बदल -बदल कर वेश।।
जोगीरा सारा रा रा रा
जिसकी पूँछ उठाई निकला,वह मादा अवतार।
है कोई जो कहे शान से, दूध धुला मैं यार।।
जोगीरा सारा रा रा रा
तरह-तरह की जुगत भिड़ाते,विविध रंग पर्याय।
सुविधा शुल्क कहीं वह होता,कहीं ऊपरी आय।।
जोगीरा सारा रा रा रा
बिना कमीशन काम न होता,बनें भवन या रोड।
फिक्स इशारों में सब करते,बदल-बदल कर मोड।।
जोगीरा सारा रा रा रा
रिश्वत शब्द शब्दकोशों की,बढ़ा रहा है शान।
रिश्वत मैं लेता या देता, कहने में अपमान।।
जोगीरा सारा रा रा रा
रीढ़ भ्रष्टता से परिपूरित, नेता हो या दास।
रक्त छानना हुआ असंभव,तन- मन में है वास।।
जोगीरा सारा रा रा रा
'शुभम्' कहें जोगीरा जन-जन,गूँज रही है टेक।
क्रय-विक्रय कचहरी सभी में, हैं उत्कोची नेक।।
जोगीरा सारा रा रा रा
शुभमस्तु !
23.03.2024● 6.15आ०मा०
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