सोमवार, 18 मार्च 2024

शुभम् कहें जोगीरा:9 [जोगीरा ]

 105/2024

       


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


सब कुछ हमको दिया ईश ने,अमृत जहर शराब।

हाथ किसी के अमृत आया,कोई हुआ खराब।।

जोगीरा सारा रा रा रा


अस्सी  फ़ीसद  का वह कर्ता,बचा तुम्हारा  बीस।

बनते हो तुम  सौ  के स्वामी,गिनो एक को तीस।।

जोगीरा सारा रा रा रा


आजीवन 'मैं' 'मैं'  में बीता,आया खाली  हाथ।

हाथ पसारे चले गए सब,तिनका गया न साथ।।

जोगीरा सारा रा रा रा


ममता  से   संतति को पाला,सेवा मिली न लेश।

निकले पंख उड़ी वन चिड़िया,पहन रँगीले   वेश।।

जोगीरा सारा रा रा रा


माटी से ही  सब जग उपजा,रोटी सब्जी  दाल।

सोना  चाँदी दूध  फूल  फल,माटी करे  कमाल।।

जोगीरा सारा रा रा रा


किया  गर्भ में   प्रभु  से  वादा,जपूँ तुम्हारा  नाम।

भूला  बाहर जाकर हरि को, रटा रात दिन   काम।।

जोगीरा सारा रा रा रा


'शुभम्'  कहें   जोगीरा  साँचे, मन में करो   विचार।

बिता न दे यों जीवन सारा, अभी खुले सब द्वार।।

जोगीरा सारा रा रा रा


शुभमस्तु !


17.03.2024● 11.00आ०मा०

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