132/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
गुलमोहर ने अमलतास के,कानों में की बात।
पीली लाल चादरें लेकर, दें मधु की सौगात।।
जोगीरा सारा रा रा रा
ऋतुओं का राजा कुसुमाकर,छाया है चहुँ ओर।
स्वागत में गाते हैं भँवरे, दिन भर संध्या भोर।।
जोगीरा सारा रा रा रा
अरहर रह-रह कटि मटकाती,चना नाचते जी भर।
नीले फूल मटर के रिमझिम,जपते रहते हर- हर।।
जोगीरा सारा रा रा रा
सरसों के फूलों से चूसे, मधुमक्खी रस खूब।
तितली उड़ती फिरे मगन मन,हरी बिछलती दूब।।
जोगीरा सारा रा रा रा
टेसू का तो कहना ही क्या,उदित वनों के भाग।
सघन लालिमा की पिचकारी,छेड़ रही शुभ राग।।
जोगीरा सारा रा रा रा
आधी रात महकते महुआ,गमक उठा वन गाँव।
कसर न कोई शेष रहेगी,लगा रहे निज दाँव।।
जोगीरा सारा रा रा रा
'शुभम्' कहें जोगीरा कुसुमित,सरसों लिए पराग।
ओढ़े पीली हरी चुनरिया , लगा न कोई दाग।।
जोगीरा सारा रा रा रा
शुभमस्तु !
21.03.2024●9.30आ०मा०
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