गुरुवार, 21 मार्च 2024

शुभम् कहें जोगीरा:22 [जोगीरा ]

 123/2024

           


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


जैसे  स्वामी  दुहता  गायें,  भैंस बकरियाँ  भेड़।

वैसे  मानव  दुहता धरती,माता की कर   रेड़।।

जोगीरा सारा रा रा रा


सोना    चाँदी  धरे गर्भ में,कोयला भरी    खदान।

खोद-खोद पोली नित करता,छोड़े नहीं निशान।।

जोगीरा सारा रा रा रा


आते   हैं    भूकंप  सुनामी,    होता महाविनाश।

नहीं  हाथ में कुछ भी रहता,रहता मनुज  हताश।।

जोगीरा सा रा रा रा


सागर  में  भी ट्रेन  चलाई,बिछा पटरियाँ     खूब।

अपनी  पीठ  आप  ही  थपके, विज्ञानी  महबूब।।

जोगीरा सारा रा रा रा


आसमान   में  चंद्रयान  का,डंका बजा   जरूर।

उस अनंत का शोध बाल भर,मत हो तू मगरूर।।

जोगीरा सारा रा रा रा


जिसका खाता अन्न उसी का,करता मनुज  हराम।

छलनी किया धरा का  सीना,मिले न तुझे  इनाम।।

जोगीरा सारा रा रा रा


'शुभम्' कहें जोगीरा धरती,मत विवेक को भूल।

जिस भू माँ ने अंक उठाया,उसे मिला मत धूल।।

जोगीरा सारा रा रा रा


शुभमस्तु !

19.03.2024●3.30प०मा०

                ●●●

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...