गुरुवार, 21 मार्च 2024

शुभम् कहें जोगीरा:34 [जोगीरा ]

 136/2024

        


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


किसका दिल कितना काला है,अंदर की ये बात।

अपना उल्लू  सीधा  करने,  करे बड़े अपघात।।

जोगीरा सारा रा रा रा


दर्पण होता दिल मानव का,दिखलाता सत् चित्र।

पैसा ही माँ बाप मनुज का,तृण भर नहीं पवित्र।।

जोगीरा सारा रा रा रा


धोखे  से ही  पैदा होता,धोखा ही माँ बाप।

धोखे  से  ही देह छोड़ता,यही उसे अभिशाप।।

जोगीरा सारा रा रा रा


नर मुख की बाहरी बनावट,हो सकती  है  झूठ।

कब  कैसा  वह रंग दिखाए,बंद न कहती मूठ।।

जोगीरा सारा रा रा रा


आजीवन नारी का आँचल,नर का साया   एक।

बतला दे किसको न चाहिए,अपने सहित विवेक।।

जोगीरा सारा रा रा रा


'शुभम्' कहें जोगीरा जन-जन, मन से  है  बीमार।

अंधकार  ही प्रिय निवास है,वही मात्र  परिवार।।

जोगीरा सारा रा रा रा

               

शुभमस्तु !

21.03.2024●3.15प०मा०

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