गुरुवार, 21 मार्च 2024

शुभम् कहें जोगीरा :32 [जोगीरा ]

 134/2024

       


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


विफल वफादारी  में  मानव,जब हो गया  अमित्र।

दिखा तभी  यह श्वान हमारा, सबसे शुद्ध  चरित्र।।

जोगीरा सारा रा रा रा


स्वागत अभिनंदन लिखते थे,पट्ट लगा  निज द्वार।

'रहें श्वान से सावधान'  अब,आवें निज   अनुसार।।

जोगीरा सारा रा रा रा


श्वानों  का  जब  मोल  बढ़ा  तो,पूछे नर को  कौन।

श्वान   कार डनलप  में रहते, संविधान   है   मौन।।

जोगीरा सारा रा रा रा


लगा समर्थन करने अपना,भाग्यवाद का  रूल।

जिसका जैसा भाग्य लिखा है,वैसा बना उसूल।।

जोगीरा  सारा रा रा रा


दूध  मलाई   रबड़ी    खाएँ,  नाटे तगड़े   श्वान।

मानव के शिशु तरस रहे हैं,नहीं दुग्ध का पान।।

जोगीरा सारा रा रा रा


श्वान आदमी   को   टहलाता, या इसके   विपरीत।

सुबह सड़क पर देख सको तो,देखो जग की नीत।।

जोगीरा सारा रा रा रा


'शुभम्'  कहें जोगीरा  कूकर, का बढ़िया  विश्वास।

व्यसन नहीं पाला है उसने, दारू गुटका   खास।।

जोगीरा सारा रा रा


21.03.2024●12.00मध्याह्न

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