सोमवार, 25 मार्च 2024

शुभम् कहें जोगीरा:47 [जोगीरा ]

 149/2024

         


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


घूरे  के  भी  दिन   फिरते हैं, बारह वर्षों  बाद।

बड़ी  कृपा  की जो नेताजी,आई है अब  याद।।

जोगीरा सारा रा रा रा रा


घूरे   से तो  अच्छे  हो  तुम, सफल गिरगिटानंद।

गर्दभ-विचरण  हो घूरे  पर, पढ़ो सियासत-छंद।।

जोगीरा सारा रा रा रा


मरा आँख  का पानी सारा,फिर भी माँगो  वोट।

लंबी - चौड़ी  बातें  करते,दिखलाते हो    नोट।।

जोगीरा सारा रा रा रा


देना  ही  तो गधा हमें दो,लाकर केवल  एक।

बूढ़ा  गधा  हमारा  है  ये,काम न करता नेक।।

जोगीरा सारा रा रा रा


लौटे  बिना  साथ में लाए, एक गधा   भी    नेक।

बोले  मिलता  एक  लाख  में,किया हाट में चैक।।

जोगीरा सारा रा रा रा


गधा बराबर    मोल न मेरा,समझा है क्या   मूढ़?

जाओ  अपनी  राह  यहाँ  से,यहाँ न बसते कूढ़।।


'शुभम्' कहें जोगीरा  फसली,नेता खिसके  द्वार।

मत भी   एक  खरीद  न पाए ,  बंद हुए   उद्गार।।

जोगीरा सारा रा रा रा


शुभमस्तु !


23.03.2024●7.00आ०मा०

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