133/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
तन रँगने में क्या है गोरी,रँग ले मन को आज।
तन तो धुल जाए पानी में,कर मन को रँग नाज।।
जोगीरा सारा रा रा रा
मन रँगना सिखलाए होली,वर्ष वर्ष की बात।
रँगरसिया का नाम जगत में,जगती की सौगात।।
जोगीरा सारा रा रा रा
रँगता कोई राम भजन में,कोई तिय भुजबंध।
कोई धन की बाँध पोटली,बना हुआ नित अंध।।
जोगीरा सारा रा रा रा
देश भक्त सीमा पर शोभित,रक्षक माँ का लाल।
चमकाए शुभ नाम पिता का,माँ को करे निहाल।।
जोगीरा सारा रा रा रा
कोई बन कर जौंक चूसता,सोना चाँदी धान्य।
कहता मैं नेता तुम सबका,करो मुझे ही मान्य।।
जोगीरा सारा रा रा
कृषक बहाता श्रमज पसीना,फिर भी भूखा पेट।
अन्न शाक फल दूध दे रहा, करें बहुत से हेट।।
जोगीरा सारा रा रा रा
'शुभम्' कहें जोगीरा रंगीं, होली तो है नित्य।
रँग जा बंदे प्रेम रंग में, सिद्ध करे औचित्य।।
जोगीरा सारा रा रा रा
शुभमस्तु !
21.03.2024●11.30आ०मा०
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