गुरुवार, 21 मार्च 2024

शुभम् कहें जोगीरा:33 [जोगीरा ]

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©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


बद  अच्छा  बदनाम  बुरा  है,  जैसे महिषी गाय।

महिषी  रानी  भैंस  हो गई,गौ मानव की   माय।।

जोगीरा सारा रा रा रा


अहसानों का जो न चुकाए,बदला वह नर हीन।

दूध भैंस का पी आजीवन,बनता मनुज प्रवीन।।

जोगीरा सारा रा रा रा


गैया   को  मैया   की  पदवी, रही उपेक्षित  भैंस।

बकरी भेड़ ऊँटनी का भी,पिया दूध हो   फैंस।।

जोगीरा सारा रा रा रा


कहा  गाय  को माता जी तो,पिता  तुम्हारा  साँड़।

महिषी माता को क्यों  भूला,शीघ्र बता दे भाँड़।।

जोगीरा सारा रा रा रा 


तन  समाजवादी  का झंडा,विडंबना के   बोझ।

तू लकीर का बस फकीर है,भरने का बस ओझ।।

जोगीरा सारा रा रा रा


भेदभाव  की  रीति  तुम्हारी,नीति न कोई    एक।

जिसकी लाठी भैंस उसी की,जाग्रत नहीं  विवेक।।

जोगीरा सारा रा रा रा


'शुभम्' कहें  जोगीरा  साँचे, साँचे में भर  बात।

दूध  भैंस का पी आजीवन,कहे गाय को  मात।।

जोगीरा सारा रा रा रा


शुभमस्तु !


21.03.2024●2.15प०मा०

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