101/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
उड़े गुलाल अबीर गली में, सारे ब्रज में धूम।
खिली कली पर भँवरे आए,झूम-झूम लें चूम।।
जोगीरा सारा रा रा रा
बोली ग्वालिन कहाँ तुम्हारी,पिचकारी घनश्याम।
होली आई रँग बरसाओ,भर भर के अविराम।।
जोगीरा सारा रा रा रा
बोले श्याम नहीं घबराओ,खेलेंगे हम होली।
बचें न लहँगा चूनर गोपी,बाहर भीतर चोली।।
जोगीरा सारा रा रा रा
मुखड़ा अपना धोकर आना, तैयारी है पूरी।
काजल बिंदिया सभी सजाऊँ,चाह न रहे अधूरी।।
जोगीरा सारा रा रा रा
श्याम महावर तुम्हें लगाऊँ, लहँगा चूनर पीत।
नारी बन कैसे लगते हो, जानें हम विपरीत।।
जोगीरा सारा रा रा रा
मैया से शिकवा मत करना,मत खिशियाना लाल।
होली तो होली है प्यारे,करना नहीं मलाल।।
जोगीरा सारा रा रा रा
'शुभम्' कहें जोगीरा ब्रज के,लिया श्याम को घेर।
कौली भर रँग दिया कान्ह मुख,करती लेश न देर।।
जोगीरा सारा रा रा रा
शुभमस्तु !
16.03.2024●10.15आ०मा०
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