119/2024
©शब्दकार
डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
काका पीते चिलम तँबाकू,खों-खों करते रोज।
काकी उन्हें टोकती भारी,पकड़ें कसके नोज।।
जोगीरा सारा रा रा रा
घर से बाहर बीड़ी धूकें, मिल यारों के साथ।
भट्टे की चिमनी-सी चलती,लाल धूम से हाथ।।
जोगीरा सारा रा रा रा
काका देते तर्क अनौखे, माने एक न बात।
यहाँ तँबाकू बीड़ी पीलें,वहाँ न मिलनी तात।।
जोगीरा सारा रा रा रा
बनी हुई हैं सारी चीजें, दूध और बादाम।
उन्हें न खाते पीते हो तुम, मानुस बड़े निकाम।।
जोगीरा सारा रा रा रा
देती स्वाद मुई बजमारी, अति मुँहलगी हराम।
माँग - माँग कर पी जाते हो,दिन भर संध्या शाम।।
जोगीरा सारा रा रा रा
उचित नहीं व्यसनों में फँसना,बिगड़े सारी देह।
धन दौलत की बरबादी हो,संग नसाए गेह।।
जोगीरा सारा रा रा रा
'शुभम्' कहें जोगीरा बीड़ी,धूमपान बेकार।
बरवादी ही बरवादी है,जीते जी तन क्षार।।
जोगीरा सारा रा रा रा
शुभमस्तु !
19.03.2024●7.15आ०मा०
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