113/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
झाँझ झूमती ढोलक ढम-ढम, कर्र- कर्र करताल।
मृदुल मँजीरा मत्त मगन मन,मृदु मतवाली चाल।।
जोगीरा सारा रा रा रा
हारमोनियम हार न माने,ढप का ढब-ढब बोल।
तबला तड़के ही उठ तड़के,सारंगी रस घोल।।
जोगीरा सारा रा रा रा
ढपली हुड़का के अपने रँग,कोई लिए सितार।
नशा भाँग का चढ़ा नाचता,बजता मंजु गिटार।।
जोगीरा सारा रा रा रा
झनक-झनक झन पायल बजती,ब्रज बाला के पाँव।
नाच देखकर मगन मुदित जन,हर्ष लीन ब्रजगाँव।।
जोगीरा सारा रा रा रा
बरसाने की लठामार यह, होली का हुड़दंग।
देख -देख दृग नहीं अघाते, बरस रहे बहुरंग।।
जोगीरा सारा रा रा रा
जीजा जी से खेले होली, साली अति हुरियार।
कटि से कसी करें बरजोरी,चूनर तारम तार।।
जोगीरा सारा रा रा रा
'शुभम्' कहें जोगीरा होली,खेलें राधा श्याम।
गोपी फिरें खोजती कान्हा,धन्य- धन्य ब्रजधाम।।
जोगीरा सारा रा रा रा
शुभमस्तु !
18.03.2024●10.30आ०मा०
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