140/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
टाँग फ़टे में जिन्हें फाँसने,का होता है शौक।
करनी देख न अचरज करना,और न जाना चौंक।।
जोगीरा सारा रा रा रा
जिन्हें सताने में ही जन को,मिलता परमानंद।
दुखी देखकर हर्षित होते, दुखपालक आसंद।।
जोगीरा सारा रा रा रा
मानव के तन में ही निर्मित,गीदड़ गर्दभ शेर।
चूहा बिल्ली कछुआ मिलते,सब कर्मों का फेर।।
जोगीरा सारा रा रा रा
संस्कार मरते न जीव के, मरती केवल देह।
योनि- योनि में हुए अंतरित,तदवत बदले गेह।।
जोगीरा सारा रा रा रा
फेर बड़ा है सूक्ष्म जीव का,कुल चौरासी लाख।
यात्रा-पथ पर चलता रहता,बनती मिटती साख।।
जोगीरा सारा रा रा रा
सबसे अहं कर्म पथ तेरा, उसे न जाना भूल।
सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ता जा,या मिल जाए धूल।।
जोगीरा सारा रा रा रा
'शुभम्' कहें जोगीरा तेरे, क्षमा न तुझको लेश।
आती है जब मीच एक दिन,उठा घसीटे केश।।
जोगीरा सारा रा रा रा
शुभमस्तु !
22.03.2024●4.45प०मा०
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