सोमवार, 25 मार्च 2024

शुभम् कहें जोगीरा:39 [जोगीरा ]

 141/2024

        

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


दुनिया  आगे बहुत बढ़ गई,करना पड़े न काम।

मिले बिना पैसे में सब कुछ,लगे न ठंडी  घाम।।

जोगीरा सारा रा रा रा


देह    बहाए    नहीं   पसीना,  भोज मलाईदार।

तनिक न हाथ पाँव भी झूलें,कृपा करें करतार।।

जोगीरा सारा रा रा रा


सबक  सीखता मधुमक्खी से,नहीं आज  इंसान।

छप्पर  फ़टे और  मिल जाए,कर दे कोई   दान।।

जोगीरा सारा रा रा रा


अपना    उल्लू  सीधा  करना,प्रायः यही     उसूल।

जैसे भी हो सिद्ध काम निज,कभी न जाते   भूल।।

जोगीरा सारा रा रा रा


परजीवी  बन   लहू   चूसना,  इसमें परमानंद।

लेबल  बने  हुए  पर अपना, चिपकाना  निर्द्वंद।।

जोगीरा सारा रा रा रा


यहाँ न कोई अपना शुभदा,सब मतलब  के यार।

पैसे   बिना  न पूछे  कोई, हो  विद्वान    हजार।।

जोगीरा सारा रा रा रा


'शुभम्' कहें जोगीरा संप्रति, सब चूल्हों  की एक।

माटी  सदृश  वही  मिलेगी, सोचो यह   सविवेक।।

जोगीरा सारा रा रा रा


शुभमस्तु !


22.03.2024● 8.45प०मा०

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