146/2023
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
बिना अनरसे गुझिया पापड़,क्या होली त्यौहार।
साली जीजाजी से बोली,कर लो आ ज्यौनार।।
जोगीरा सारा रा रा रा
जीजा कहें शहद भर वाणी,गुझिया का है चाव।
किंतु अकेले में शुभ गुझिया ,देती है सदभाव।।
जोगीरा सारा रा रा रा
पकड़े गए संग गुझिया के, पड़ें शीश बेभाव।
सहलाते हम फिरें रात-दिन,पड़ना मँहगा चाव।।
जोगीरा सारा रा रा रा
इतना साहस तो अपना ही,जीजू रखते आप।
कैसे कायर हो जीजाजी,हम दोनों की माप।।
जोगीरा सारा रा रा रा
धनिया के पौधे पर हमको,नहीं चढ़ाओ आप।
बस हमको इतना डर लगता,हो न हाथ से पाप।।
जोगीरा सारा रा रा रा
उठा हाथ में रंग गुलाबी,सँग में लाल गुलाल।
पोत दिया जीजा जी के मुख,करती बड़ा धमाल।।
'शुभम्' कहें जोगीरा होली,पिचकारी की धार।
साली ने जीजा पर मारी, मर्यादा अनुसार।।
जोगीरा सारा रा रा रा
शुभमस्तु !
23.03.2024●4.30प०मा०
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