137/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
'सम्मानों ' की रेवड़ियाँ हैं, ले लो रचनाकार।
बाँट रहे हैं अति सम्मानित,चिह्न सहित उपहार।।
जोगीरा सारा रा रा रा
शॉल नारियल साथ मिलेगा,गले फूल का हार।
नाम छपेगा अखबारों में,नर हो या हो नार।।
जोगीरा सारा रा रा रा
छंदबद्ध या मुक्त छंद हो,या कविता अतुकांत।
पूरा - पूरा मान मिलेगा, मन में रहें न भ्रांत।।
जोगीरा सारा रा रा रा
अवसर किसे तुम्हें जो परखे,स्वर्ण कसौटी मीत।
इतनी केवल गाँठ बाँध लो,तुम्हें मिलेगी जीत।।
जोगीरा सारा रा रा रा
बड़े - बड़े भाषा विज्ञानी, बन जाते खरगोश।
कछुआ आए प्रथम दौड़ में,सजग रखे जो होश।।
जोगीरा सारा रा रा रा
थोड़ा तेल लगाना सीखो, थोड़े मक्खनबाज।
क्या कारण जो नहीं सजेगा,शीश तुम्हारे ताज।।
जोगीरा सारा रा रा रा
'शुभम्' कहें जोगीरा कविवर,पड़े न कैसे घास!
तुम्हें सीखना होगा प्यारे,खाना बिना उपास।।
जोगीरा सारा रा रा रा
शुभमस्तु !
21.03.2024 ●8.45प०मा०
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