120/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
भैंस-भोज की कहूँ कहाँ तक,बदली है युग-रीति।
नियम -धरम भूले नर -नारी,रही न कोई नीति।।
जोगीरा सारा रा रा रा
खड़े-खड़े ही करते भोजन,स्वयं परोसें आप।
जूठे हाथों जूठाहारी, काम न कोई पाप।।
जोगीरा सारा रा रा रा
कोई आओ खाओ जाओ,लिखवा जाओ दाम।
खाओ चाहे मत ही खाओ, पर लिखवाना आम।।
जोगीरा सारा रा रा रा
भर-भर थाली व्यंजन लेते ,आपा बड़ा असीम।
कोई दस रसगुल्ला खाए ,तन के बड़े लहीम।।
जोगीरा सारा रा रा रा
ब्रेकफास्ट के बाद सजा है,भोजन संग अचार।
फल सलाद भी नहीं छोड़ना,जूस दूध आहार।।
जोगीरा सारा रा रा रा
जगमग- जगमग करें रोशनी,डी जे धूम- धड़ाम।
बिना स्लीव स्वेटर के नाचें, बाला नई ललाम।।
जोगीरा सारा रा रा रा
'शुभम्' कहें जोगीरा दावत,मान नहीं सम्मान।
पश्चिम का ये रोग बुफे अब,मेरा देश महान।।
जोगीरा सारा रा रा रा
शुभमस्तु !
19.03.2024●10.15आ०मा०
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