131/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
आस्तीन में पाल लिए हैं,जो जहरीले साँप।
जहर उगलने लगे रात-दिन,हमीं लगे हैं काँप।।
जोगीरा सारा रा रा रा
दूध पिलाते भर-भर लोटे,समझ लिया अधिकार।
प्रेम भाव से पाला जी भर,हमको ही दें मार??
जोगीरा सारा रा रा रा
जितना जहर नहीं नागों में,नंगों में वह देख।
भाव बदलने लगे हृदय के,कहते हैं अभिलेख।।
जोगीरा सारा रा रा रा
होता उचित श्वान ही पालें,भैंस दुधारू गाय।
सिर केऊपर निकला पानी,क्या अब शेष उपाय??
जोगीरा सारा रा रा रा
हृदयहीन के लिए नहीं हैं,दया प्रेम सद्भाव।
अपना पालित घात लगाकर, देता गहरे घाव।।
जोगीरा सारा रा रा रा
मानव तन में हिंस्र नाग ये, लिया आज पहचान।
अब तो इनसे उचित दूरियाँ,रखना सकल जहान।।
जोगीरा सारा रा रा रा
'शुभम्' कहें जोगीरा असली,कर्कट रोग विनाश।
अब तो है अनिवार्य सदा को,दें न दुग्ध का प्राश।।
जोगीरा सारा रा रा रा
शुभमस्तु !
21.03.2024 ●8.15आ०मा०
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