107/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
नेता नहीं चाहते शिक्षा, करना देश -विकास।
मतदाता को मूढ़ मानते ,नित्य करें उपहास।।
जोगीरा सारा रा रा रा
नेताओं का काम चूसना, फसली चौसा आम।
आश्वासन से मोहित जनता,कभी दिखाते राम।।
जोगीरा सारा रा रा रा
मतमंगे बन चंदा खाते ,चुम्बन चरण प्रणाम।
बिकते नेता लाख करोड़ों,दूजा गिरे धड़ाम।।
जोगीरा सारा रा रा रा
स्वयं विदेशों में पढ़वाते,संतति अपनी नेक।
निर्धन रहें देश के वासी , टर्राते ज्यों भेक।।
जोगीरा सारा रा रा रा
काला अक्षर भैंस बराबर, अंडर हैं डी.एम.।
जो चाहें वह हुकुम बजावें, बड़े-बड़े बी.एम.।।
जोगीरा सारा रा रा रा
साठ साल में चढ़े जवानी,यह भीतर की बात।
करती हैं रंगीन रजनियाँ, मधुबालाएँ सात।।
जोगीरा सारा रा रा रा
'शुभम्' कहें जोगीरा नेता,बीस पंसेरी धान।
नेताओं ने बना दिया है, भारत देश महान।।
जोगीरा सारा रा रा रा
शुभमस्तु !
17.03.2024● 4.45प०मा०
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