99/2024
© शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
कुर्सी कुर्सी कुर्सी कुर्सी,आते हमको ख्वाब।
सबसे बढ़िया हम हैं नेता, देना वोट ज़नाब।।
जोगीरा सारा रा रा रा
पढ़ना-लिखना व्यर्थ तुम्हारा,सीख सियासत रोज।
डिग्री ले नौकर बन जाते,रहे न मुख पर ओज।।
जोगीरा सारा रा रा रा
बिना पढ़े सरकार चलाते,बनते जो डी एम।
नेताओं के हुकुम बजाते, बड़े - बड़े बी एम।।
जोगीरा सारा रा रा रा
पाँच साल में एक बार ही,पड़े माँगना वोट।
ताव मूँछ पर देकर बैठो, भरें तिजोरी नोट।।
जोगीरा सारा रा रा रा
साठ साल में चढ़े जवानी, खाएँ फल बादाम।
आँखों में हर वक्त खुमारी,रहे नहीं अब आम।।
जोगीरा सारा रा रा रा
देव तुल्य होते नेताजी, दुर्लभ दर्शन भोर।
चढ़ा पुजापा द्वारपाल को, करो न बाहर शोर।।
जोगीरा सारा रा रा रा
'शुभम् कहें जोगीरा बेढब,सत्य- सत्य सब बात।
हत्या सत्य तथ्य की होती,लोकतंत्र की मात।।
जोगीरा सारा रा रा रा
शुभमस्तु !
15.03.2024●2.15 प०मा०
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