147/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
अब तो निकल पड़े नेताजी,अपने मन में ठान।
बने हुए मतमंगे सपने , पाले भर मुस्कान।।
जोगीरा सारा रा रा रा
पीछे पूँछ सोहती लंबी, बड़ी बुलेरो कार।
एक नहीं दस बीस दौड़तीं,करतीं धुआँ धुँआर।।
जोगीरा सारा रा रा रा
रुका एक बरगद के नीचे, कार-काफिला घेर।
निकल पड़े कुछ टोपीधारी, किए बिना कुछ देर।।
जोगीरा सारा रा रा रा
टोपी रख बाबा की पदरज, माँग रहे आशीष।
आड़े हाथ लिया बाबा ने, मुखर दिखाई रीष।।
जोगीरा सारा रा रा रा
अब आए हो पाँच साल में,फैलाए निज हाथ।
सड़कें कच्ची मिले न बिजली,दिया न हमको साथ।
जोगीरा सारा रा रा रा
संसद से कब फुर्सत मिलती,जो आते तुम गाँव।
मतलब पड़ा चले आए तुम,अब छूते हो पाँव??
जोगीरा सारा रा रा रा
'शुभम्' कहें जोगीरा नेता,बोल न पाया बोल।
जूते जैसा पड़ा चाँद पर,लगा हुआ भूडोल।।
जोगीरा सारा रा रा रा
शुभमस्तु !
23.03.2024●5.15प०मा०
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