96/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
फागुन आया मन भरमाया,होली का हुड़दंग।
फूल-फूल भँवरा मँडराया,लगा बरसने रंग।।
जोगीरा सारा रा रा रा
होरी से धनियां यों बोली,आ जाओ भरतार।
खेलेंगे हम तुम अब होली,रंग भरा त्यौहार।।
जोगीरा सारा रा रा रा
कसी-कसी क्यों लगती चोली,ए भौजी दो बोल।
कोयल बोल रही मधु बोली,बजते हैं ढप ढोल।
जोगीरा सारा रा रा रा
बरसाने से चलीं राधिका,कहाँ छिपे घनश्याम।
वन कुंजों में ढूँढ रही हैं,हुई सुबह से शाम।।
जोगीरा सारा रा रा रा
रास रचावें कृष्ण कन्हैया,पूनम की है रात।
संग राधिका गोपी नाचें,हुई साँझ से प्रात।।
जोगीरा सारा रा रा रा
रँग गुलाल मुख से लिपटाए,आए जसुदा लाल।
खींच-खींच मारी पिचकारी,गोप नाच दे ताल।।
जोगीरा सारा रा रा रा
आज दिवस होली का मैया,कैसे खेलें रंग।
वन में जाना गाय चराने,नियम न करना भंग।।
जोगीरा सारा रा रा रा
शुभमस्तु !
14.03.2024●4.00प०मा०
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