गुरुवार, 21 मार्च 2024

शुभम् कहें जोगीरा:23 [जोगीरा ]

 124/2024

           


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


सुरा   सुरों का  साथ निकट का,लगें दंपती  नेक।

सुर से सुरा विलग  हो कैसे,सोचें सहित विवेक ।।

जोगीरा सारा रा रा रा


बड़ी    मुँहलगी सुरा  सुरों की, कैसे छोड़ें  मीत।

सुरा सुरापति  की  मनभाई, कौन सकेगा जीत।।

जोगीरा सारा रा रा रा


नाली  नालों  की  हैं  शोभा,  सुरा सँवारे   लोग।

परम् हंस कहलाते वे जन,विलग जगत के रोग।।

जोगीरा सारा रा रा रा


होली  में  बहु  धूम मचावें,सुरा गले के  बीच।

समदृष्टा हो जाते  पल  में,कलाकंद या  कीच।।

जोगीरा सारा रा रा रा


हर  नारी को  एक भाव से, रहते सदा  निहार।

चुम्बन चरण  करें  श्रद्धा  से, एक सदृश दें प्यार।।

जोगीरा सारा रा रा रा


धन को समझें मैल हाथ का,खूब उड़ाते  नित्य।

साथ न लाए ले न जा सकें,सिद्ध करें औचित्य।।

जोगीरा सारा रा रा रा 


'शुभम्' कहें जोगीरा मादक,धन्य सुरा जो  लीन।

जग - विपदाएँ   उन्हें  व्यापें, रहें नहीं  ग़मगीन।।

जोगीरा सारा रा रा रा


शुभमस्तु !.

19.03.2024 ●4.30प०मा०

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