मंगलवार, 26 मार्च 2024

सबका अपना रंग [ गीत ]

 155/2024

           

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


तरह - तरह के

रंग जगत के

सबका अपना रंग।


कोई नीला 

लाल गुलाबी 

काला पीला सेत।

हरा बैंजनी

धूसर कोई

कहीं रंग समवेत।।


कोई भी रँग

अपनाएं प्रिय 

हो न रंग में भंग।


रंग न होते

यदि दुनिया में

हो जाता बदहाल।

रंग हमारे

अभिज्ञान हैं

रंगों की ही ताल।।


जिसका कोई 

रंग नहीं है

नहीं किसी के संग।


होली दीवाली

का अपना 

अलग -अलग किरदार।

होली में रँग

बरसे मधुमय

उधर   दियों  का   प्यार।।


एक रंग

बदरंग सभी का

देख न होना दंग।


रंगों में बँट 

बिखर न जाएँ

होली का संदेश।

धर्म जाति 

संस्कृतियाँ जुड़कर

हो महान ये देश।।


रहें सभी मिल

भारतवासी

करें न जन को तंग।


शुभमस्तु !


26.03.2024●8.30आ०मा०

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