सोमवार, 18 मार्च 2024

शुभम् कहें जोगीरा:10 [जोगीरा ]

 106/2024

         


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


स्वेद  बहाए  करें   किसानी, धीरज धरे    किसान।

बची सड़ी  सब्जी ही  खाते,शुद्ध न मिले पिसान।। 

जोगीरा सारा रा रा रा


कहने को  मालिक किसान है,मोल लगाएँ  और।

दाता कहते जिसे अन्न का,मिले न भरसक कौर।।

जोगीरा सारा रा रा रा


सड़े  टमाटर  काने  बैंगन, खाने  को लाचार।

नमक  प्याज से रोटी खाता,होरी का परिवार।।

जोगीरा सारा रा रा रा


खूँटी    टँगी   दोहनी   रोए,   बुझी गोरसी   द्वार।

बिना छाछ गृह- बालक रोएँ,गाँवों को धिक्कार।।

जोगीरा सारा रा रा रा


देखी आधी  रात न दिन भी,स्वेद बहाती  देह। 

बिजली कड़के मेघ बरसते,छोड़ चले  वे  गेह।।

जोगीरा सारा रा रा रा


धारासार  बरसता पानी,ओढ़े वह निज  शीश।

बोरी  फ़टी  एक   मटमैली, भला करें   जगदीश।।

जोगीरा सारा रा रा रा


'शुभम्' कहें  जोगीरा  कृषि  के,मेरा देश  महान।

नेताओं की मौज बारहों,मास कनक की  खान।।

जोगीरा सारा रा रा रा


शुभमस्तु !


17.03.2024● 1.15प०मा०

                 ●●●

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...