गुरुवार, 21 मार्च 2024

शुभम् कहें जोगीरा:25 [जोगीरा ]

 127/2024

          


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


घंटे    सबको  एक  बराबर, मिले  हुए  चौबीस।

किंतु इन्हें तो अधिक चाहिए,होते यदि चौंतीस।।

जोगीरा  सारा  रा रा रा 


गाड़ी  ऐसे  तेज चलाते, समय न इनके पास।

भले  साँड़  से जा टकराएँ,हो जाए उपहास।।

जोगीरा सारा रा रा रा


करें  प्रतीक्षा  प्रिय घरवाले,उन्हें न चिंता  लेश।

पड़े  हुए  हैं  वे  खाई में,बिखरे सिर के   केश।।

जोगीरा सारा रा रा रा


कभी कान पर जूं न रेंगती,कितना खींचो कान।

आँख बंद कर  बाइक रौंदें,दिखलाते हैं   शान।।

जोगीरा सारा रा रा रा


कोई - कोई  बिना  सुरा के, रहें  नशे में   चूर।

बिना दाम का  करें  तमाशा,बने हुए मगरूर।।

जोगीरा सारा रा रा रा


हैलमेट   के  बिना    दौड़ती, बाइक अंधाधुंध।

लहुलुहान होकर जब गिरते,कीचड़ नाले गुंध।।

जोगीरा सारा रा रा रा


'शुभम् ' कहें जोगीरा  हीरो, तोड़ें अपनी   टाँग।

नहीं बड़ों की  एक मानते,पिए बिना ही   भाँग।।

जोगीरा सारा रा रा रा 


शुभमस्तु !

20.032.024●3.00प०मा०

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