100/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
गोविंदी का लहँगा खोया,घनी झाड़ के बीच।
चेतराम को गई बुलाने, टाँग गईं फँस कीच।।
जोगीरा सारा रा रा रा
चेतराम को चिंता भारी , कैसे लाऊँ खोज।
चिलबिल्ली है ये गोविंदी, ताने देगी रोज।।
जोगीरा सारा रा रा रा
चेतराम चल पड़े तुरत ही, लेकर अपनी टार्च।
बजे अभी थे बारह दिन के,करें खेत में मार्च।।
जोगीरा सारा रा रा रा
हँसने लगे देखकर बच्चे,चेतराम के ढंग।
भर-भर कर मारी पिचकारी,करते रंग-बिरंग।।
जोगीरा सारा रा रा रा
गोविंदी ने डाँटे बच्चे, हँसती जाती आप।
जाओ तुम भी लहँगा ढूंढो,करो नहीं आलाप।।
जोगीरा सारा रा रा रा
तब तक आया काला कूकर,लहँगा ले मुख बीच।
खिंचता जाए लाल चीथड़ा,पोखर वाली कीच।।
जोगीरा सारा रा रा रा
'शुभम् कहें जोगीरा होली,चेतराम की नाक।
बची न एक सूत भी बाकी,सिमट गई निज धाक।।
जोगीरा सारा रा रा रा
शुभमस्तु !
15.03.2024●4.45प०मा०
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