109/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
शब्द-साधना करता माते,भगवत शुभम् स्वरूप।
लोकगीत होली का पावन,जोगीरा शुभ यूप।।
जोगीरा सारा रा रा रा
मात शारदे वीणावादिनि, कर दो नव गुंजार।
शब्द-शब्द में रँग भर दो माँ,करता 'शुभम्' गुहार।।
जोगीरा सारा रा रा रा
रँग रस की तुम देने वाली,करता नमन प्रणाम।
बिना तुम्हारे एक शब्द का,आता एक न नाम।।
जोगीरा सारा रा रा रा
स्वर की रानी ज्ञानदायिनी,सरगम की तुम प्राण।
कवि क्या है प्राणी भी कोई,पा न सका है त्राण।।
जोगीरा सारा रा रा रा
उर का आसन सजा हुआ है,मातु तुम्हारे कारण।
रुके न अविरत चले लेखनी,शंका करें निवारण।।
जोगीरा सारा रा रा रा
हास्य व्यंग्य का पुट भी थोड़ा,होली में अनुकूल।
ज्यों अबीर चंदन का संगम,बनता एक उसूल।।
जोगीरा सारा रा रा रा
'शुभम्' कहें जोगीरा माते,वंदन नमन हजार।
करता है माँ के चरणों में,होली छंद विहार।।
जोगीरा सारा रा रा रा
शुभमस्तु !
17.03.2024●9.30प०मा०
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