81/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
छाई अद्भुत विमल छटा।
कुहरे का आतंक घटा।।
फूल - फूल पर भँवरे हैं,
तरु लतिका के पास सटा।
महा रात्रि शिव की आई,
प्रसरित हर की सघन जटा।
नमः - नमः शिव- भक्त जपें,
हमने भी शिव -नाम रटा।
ऋतु वसंत की शुभकारी,
पतझर से भू - अंक पटा।
नीलकंठ नंदी सेवित,
लाते वन से खोज गटा।
'शुभम्' जपें हम जय शिव की,
जपते ही शिव क्लेश कटा।
*गटा =कंदमूल।
शुभमस्तु !
04.03.2014 ●6.45आ०मा०
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