535/2023
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●©शब्दकार
● डॉ०भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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देखो उड़नखटोला आया।
घर्र - घर्र कर नभ गरजाया।।
छत पेड़ों के उड़ता ऊपर।
धूल उड़ाता भारी भू पर।।
लगता इसमें जगह न इतनी।
बैठ सकें ऑटो में जितनी।।
दो ही लोग बैठ पाते हैं।
रस्सी से बँध कस जाते हैं।।
घर्र - घर्र से कान फोड़ता।
सरपट भू पर दिखा दौड़ता।।
सैर - सपाटे को है अच्छा।
लगता है जहाज का बच्छा।।
'शुभम्' निकट से हमें दिखाएँ।
चढ़ें खटोले पर उड़ जाएँ।।
●शुभमस्तु !
14.12.2023●4.30प०मा०
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