576/2023
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●© शब्दकार
● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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शयन सेज को
त्याग प्रथम ले
नाम मात्र प्रभु राम।
बीत गई है
गहन तमिस्रा
तारे हुए विलीन।
भोर हुआ है
सूरज निकला
जाग उठे खग पीन।।
एक - एक जन
मिलें परस्पर
कर लें सभी प्रणाम।
राम - नाम से
श्री गणेश हो
शुभ का कर लें जाप।
अनायास ही
राम उचारें
मिट जाए उर - ताप।।
राम - राम सा
की ध्वनि गूँजे
बने राम - रस धाम।
कुक्कड़ कूँ में
ताम्रचूड़ का
स्वर जपता लय साध।
राम -राम बस
और नहीं कुछ
हरि से नेह अगाध।।
श्रुतियों में जो
नाद गूँजता
राम नाम अभिराम।
●शुभमस्तु !
26.12.2023●8.30आ०मा०
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