600/2023
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● © शब्दकार।
● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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मुझे समर्थन
नहीं चाहिए
सिवा तुम्हारे राम।
तुम मेरे हो
और तुम्हारा
मैं हूँ लो प्रभु जान।
'शुभम्' अजामिल
जैसा पापी
मेरी ये पहचान।।
रोटी के हित
बनकर चाकर
खूब कमाए दाम।
राम दास मैं
शरण तुम्हारी
कृपा - हस्त दो नाथ।
जितना जीवन
शेष बचा है
रहे राम - पद माथ।।
नहीं चाहिए
ऊँचा पद भी
बना रखें बस आम।
जन्म-जन्म में
राम - चरण में
रहे सदा अनुराग।
नहीं विमुख हूँ
मैं प्रभु - रति से
यही 'शुभम्' का भाग।।
नहीं और कुछ
वांछा मन में
नर जीवन की शाम।
● शुभमस्तु !
29.12.2023●3.15प०मा०
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