551/2023
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●© शब्दकार
● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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रामराज्य की
बातें करना
बड़ा सुहाता आज।
पुरी अयोध्या
महिमा -मंडित
आएँगे प्रभु राम।
अपने घर में
पग रख शोभें
निखरे सुबहो - शाम।।
रावण सुधरें
यदि भारत के
होगा हमको नाज।
अपने सिर पर
बाँध सेहरा
दानव रटते रोज।
हम हैं दशरथ
हम कौशल्या
हम हनुमत के ओज।।
आज रो रहे
निर्धन भूखे
झपट रहे हैं बाज।
आदर्शों की
मिश्री डाले
रजनीगंधा फूल।
महक रहे हैं
राजनीति के
पीले उधर बबूल।।
राम नाम की
माला फेरें
चला न जाए ताज।
●शुभमस्तु !
22.12.2023●12.15प०मा०
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